Dr. Babasaheb Ambedkar: महामानव का अमर विरासत

भारतीय समाज में अत्याचार और विभेदवाद की भावना जड़ सी हो गयी थी। फिर भी एक ऐसा व्यक्ति जिसने समाज की इस इमानदारी को दरकिनार करते हुए उसमें आधुनिकता लाकर उन्नति की सोच को लोगों तक पहुँचाया था, वे सिर्फ डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर थे।

बचपन में डॉ. बाबासाहेब बुद्धिजीवी तथा बहुत उत्तेजित थे। उन्होंने स्कूल से पढ़ाई की, उनका परिवार बहुत गरीब था और उन्हें शायद अपनी नौकरी के नाम से पहचाना जाता था। लेकिन सम्मान, स्वतंत्रता, और समानता की इच्छा उन्हें नहीं छोड़ती थी। वे एक जाति के होने के कारण, जहाँ उन्हें सुत्ता कटोरी में बाँधा जाता था वहीं वे अपनी शिक्षा के लिए लड़ने तैयार भी रहे।

डॉ. आंबेडकर की योगदान भरी जिंदगी पड़ोसी देश पाकिस्तान तक महसूस की जाती है और वेह इसीलिए बहुत महत्वपूर्ण होते है। उन्होंने हिंदू संस्कृति को उद्धार करते हुए समाज से “हम हिंदू नहीं हैं” का एक नारा उठाया था। उन्हें आर्थिक, सामाजिक, जातिवाद तथा धर्म के जखीरे ने बहुत परेशान किया था, और वे परिवर्तन लाने की चुनौती को ग्रहण करने के लिए तैयार थे।

उन्होंने संविधान लिखने के लिए बहुत मेहनत और कठिनाई का सामना किया था। इसके बाद नेहरू की सरकार उनको भारत के भाग बनाने की कोशिश करने के बाद भी उन्होंने कभी नहीं हारी। उन्होंने लोगों में एक झालक दिलाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए। लोगों को उनकी ये पत्रिकाएं उपलब्ध होती थीं हमेशा नई इन्फ़ार्मेशन से भरी रहती थीं।

आधुनिक भारत की बुनियादों में डॉ. आंबेडकर ने अपना बहुत बड़ा योगदान दिया था। जब भारत में आआजादी के बाद बहुत बड़े बदलाव हुए थे, वहीं उनका योगदान इन बदलावों के संबंध में हमारे समाज के लिए एक भीषण संदेश साबित हुआ है। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर एक महान सूर्य के समान होते हैं जिन्होंने समाज और भारत में नई दौर आगे बढ़ाया था।

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By knbbs-sharer

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